बजट की रोमांचक बातें क्या आप जानते हैं

बजट की रोमांचक बातें क्या आप जानते हैं

यूनियन बजट 2024 पेश होने में दो महीने से कम वक्त रह गया है

 वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2024 को केंद्र सरकार का बजट पेश करेगी. यह अंतरिम बजट होगा

इसमें अगले वित्त वर्ष के शुरुआती कुछ महीनों के लिए सरकार अपने खर्च के प्रस्ताव पर संसद की मंजूरी हासिल करेगी

यह नरेंद्र मोदी की केंद्र की वर्तमान सरकार का आखिरी बजट होगा

अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. इसके बाद दो नई सरकार बनेगी वह वित्त वर्ष 2024-25 का पूरा बजट जून-जुलाई में पेश करेगी

इससे पहले 2019 में अंतरिम बजट पेश हुआ था. तब केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इसे 1 फरवरी, 2019 को पेश किया था

चुनावों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 5 जुलाई को FY20 का बजट पेश किया था

सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के नाम है. देसाई 1962 से 1969 तक वित्तमंत्री रहे

इस दौरान उन्होंने 10 बार यूनियन बजट पेश किया. 1977 में वह जनता पार्टी की सरकार में प्रधानमंत्री बने थे

यूनियन बजट पेश होने की तारीख और समय दोनों में बदलाव आया है. पहले फरवरी की आखिरी तारीख को शाम 5 बजे यूनियन बजट पेश होता था

यह परंपरा अंग्रेजों के शासन के समय से चली आ रही थी. इसे बदलने का श्रेय यशवंत सिन्हा को जाता है. वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त मंत्री थे

1999 में उन्होंने बजट पेश होने का समय शाम 5 बजे से बदलकर दिन में 11 बजे कर दिया. तब से बजट पेश होने का समय दिन के 11 बजे का हैं

बजट पेश होने की तारीख में बदलाव 2017 में आया. तब पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फरवरी की अंतिम तारीख की जगह फरवरी की पहली तारीख को बजट पेश करने की शुरुआत की

तब से यह परंपरा जारी है. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2024 को दिन में 11 बजे लोकसभा में यूनिनय बजट पेश करेंगी

पहले रेल बजट अलग से पेश किया जाता था. केंद्र सरकार का रेल मंत्री इसे पेश करता था. इसमें रेलवे की इनकम और खर्चे होते थे

 इसे यूनियन बजट से एक दिन पहले पेश किया जाता था. केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद 2016 में यह परंपरा खत्म कर दी गई

वित्तमंत्री पहले बजट Document को रखने के लिए Briefcase का इस्तेमाल करते थे. बजट पेश होने के दिन वह बजट Document Briefcase में लेकर संसद पहुंचते थे

यह परंपरा 2019 में बंद हो गई. इस परंपरा को बदलने का श्रेय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को जाता है. उन्होंने 2019 में पारंपरिक 'बहीखाता' बजट लेकर पहुंची थी