कहीं आप Color Blindness के शिकार तो नहीं?

जब आंखें सही तरीके से कलर की पहचान नहीं कर पाती हैं, तो उसे Color Blindness  कहा जाता है

जब रेटिना में मौजूद कलर पिक्सल्स सही से नहीं देख पाते हैं तब Colour Blindness की समस्या होती है

Colour Blindness से परेशान लोगों की कुछ रंगों के बीच अंतर करने की क्षमता कम हो जाती हैं

कुछ लोग बचपन से ही रंगों को नहीं पहचान पाते हैं. इसका मतलब वह बचपन से ही कलर ब्लाइंड होते हैं

ग्लूकोमा और रेटिना से जुड़ी बीमारियां भी कलर ब्लाइंडनेस का कारण हो सकती है

अगर आप अपनी आंखों का ख्याल नहीं रखते हैं तो आप कलर ब्लाइंडनेस का शिकार हो सकते हैं

डॉक्टर के अनुसार इस तरह की बीमारी से बचने के लिए आपको हर 6 महीने में आंखों की जांच करानी चाहिए

डॉक्टर की सलाह पर Color Blindness होने पर आप Color Contact Lens भी पहन सकते हैं

कई तरह के Color Blindness को सर्जरी की मदद से भी ठीक किया जा सकता है