कैसे पनपी थी कंगारुओं में कूदने की काबिलियत?

कंगारू उछल-उछल कर एक जगह दूसरी जगह पर दौड़ने के लिए मशहूर हैं.

इसके पूर्वजों ने धीरे धीरे इस तरह से दौड़ना विकसित किया था.

इनके चलने फिरने के तौर तरीकों का विकास की एक अलग ही कहानी है.

विलुप्त कंगारू आधुनिक कंगारुओं की तरह कूद-कूद कर नहीं चलते थे.

तेजी से कूद कूद कर दौड़ने की काबिलियत कुछ ही पुराने विशाल शरीर वाले कंगारुओं में थी.

विलुप्त हो चुके कुछ कंगारुओं में चलने की क्षमताओं में बहुत ज्यादा ही अलग-अलग थी.

आधुनिक विशाल आकार के कूदने वाले कंगारू उनके विकासक्रम में अपवाद स्वरूप पनपे हैं.

कूदने का गुण छोटे स्वरूप वाले कंगारुओं में विकसित होना शुरु हुआ था.

यही बड़े आकार वाले कंगारुओं तक ही सीमीत हो कर रह गया.