शॉर्ट सेलिंग में एक मार्जिन खाता खोला जाता है

फिर एक ऐसा स्टॉक ढूंढा जाता है, जिसकी कीमतों में कमी आने की संभावना हो

इसमें निवेशक अपने ब्रोकर से स्टॉक उधार लेकर बिक्री कर देता है

स्टॉक उधार लेने के लिए ब्रोकर को मार्जिन चुकानी होती है

गिरावट के बाद सस्ते भाव पर इसे खरीदकर वापस कर देता है

बेचने और खरीद के मूल्य के बीच के अंतर से प्रॉफिट कमाया जाता है

ये स्टॉक के भाव में गिरावट का फायदा उठाने की रणनीति है

हेजिंग के तौर पर भी शॉर्ट सेलिंग की रणनीति अपनाई जाती है

शॉर्ट सेलिंग में अनलिमिटेड घाटा होने का भी खतरा होता है

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