बिश्नोई समाज का शहीदी मेला जोधपुर के खेजड़ली गांव में  भरता है.

Sandeep Rathore 

शहीदी मेले में महिलाएं सोने के भारी भरकम गहने पहनकर आती हैं.

गहनों में सबसे महत्वपूर्ण गले में पहने जाने वाली आड है जो काफी वजनी होती है.

महिलाओं के इन पुश्तैनी गहनों को खानदानी निशानी के रूप में देखा जाता है.

महिलाओं के इन भारी-भरकम गहनों को देखकर लोग हैरान रह जाते हैं. 

यहां अमृता देवी ने 280 वर्ष पहले पेड़ों की रक्षा के लिये अपना बलिदान दिया था.

अमृता देवी के साथ उनके 363 पर्यावरण प्रेमी भी शहीद हुए थे.  

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