बारिश, बादल, बरखा में कपल्स के लिए शायरी

मेरे पास से उठ कर वो उस का जाना सारी कैफ़िय्यत है गुज़रते मौसम सी

दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था

आती जाती है जा-ब-जा बदली साक़िया जल्द आ हवा बदली

मूड हो जैसा वैसा मंज़र होता है मौसम तो इंसान के अंदर होता है

सर्दी में दिन सर्द मिला हर मौसम बेदर्द मिला

उसने बारिश में भी खिड़की खोल के देखा नहीं भीगने वालों को कल क्या क्या परेशानी हुई

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