Ashutosh Asthana | OCT 18, 2024
शाकाहारी बनना है या मांसाहारी, ये तो इंसान की व्यक्तिगत पसंद है.
पर शाकाहारी बनने से प्रकृति को बहुत फायदा हो सकता है.
मांस खाने से पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड ज्यादा रिलीज होती है.
226 ग्राम आलू पैदा करने में उतनी ही CO2 निकलती है जितनी एक छोटी कार 0.2 किमी चलाने में निकलती है.
226 ग्राम बीफ उतना कार्बन रिलीज करता है जितना उसी कार को 12.7 किमी दूर चलाया जाए.
अधिकतर लोग सिर्फ फल और सब्जियां खाने लगें तो बड़ी मात्रा में धरती से ग्रीनहाउस गैस कम हो जाएंगी.
गन्ना पैदा करने में 1-2 क्यूबिक मीटर टन पानी का इस्तेमाल होता है.
जबकि बीफ पैदा करने में 15 हजार क्यूबिक मीटर टन से ज्यादा पानी लगता है.
हालांकि, पूरी तरह मांस छोड़ने पर विकासशील देश के निम्न वर्ग को प्रोटीन जैसे पोषक तत्व नहीं मिल पाएगा.