Janmashtami 2023: जन्माष्टमी में खीरे का क्यों है इतना महत्व
Janmashtami 2023: जन्माष्टमी में खीरे का क्यों है इतना महत्व
श्री कृष्ण का जन्मोत्सव जन्माष्टमी पूरे देशभर में काफी धूमधाम से मनाया जाता है
श्री कृष्ण का जन्मोत्सव जन्माष्टमी पूरे देशभर में काफी धूमधाम से मनाया जाता है
जन्माष्टमी पूजा का मुहूर्त 6 सितंबर को 11:57pm से 7 सितंबर 12:42am तक है
जन्माष्टमी पूजा का मुहूर्त 6 सितंबर को 11:57pm से 7 सितंबर 12:42am तक है
वहीं जन्माष्टमी व्रत का पारण समय 7 सितंबर को सुबह 06:02 से रहेगा
वहीं जन्माष्टमी व्रत का पारण समय 7 सितंबर को सुबह 06:02 से रहेगा
जन्माष्टमी का त्योहार खीरे के बिना अधूरा माना जाता है
जन्माष्टमी का त्योहार खीरे के बिना अधूरा माना जाता है
जन्माष्टमी के दिन खीरे को उसके तने से काटकर अलग किया जाता है
जन्माष्टमी के दिन खीरे को उसके तने से काटकर अलग किया जाता है
इसे श्री कृष्ण का माता देवकी से अलग होने का प्रतीक माना गया है
इसे श्री कृष्ण का माता देवकी से अलग होने का प्रतीक माना गया है
कई जगहों पर खीरा काटने की प्रक्रिया को जन्माष्टमी के दिन नल छेदन भी कहा जाता है
कई जगहों पर खीरा काटने की प्रक्रिया को जन्माष्टमी के दिन नल छेदन भी कहा जाता है
जन्म के समय जैसे बच्चों की गर्भनाल काट कर उन्हें गर्भाशय से अलग किया जाता है
जन्म के समय जैसे बच्चों की गर्भनाल काट कर उन्हें गर्भाशय से अलग किया जाता है
वैसे ही श्री कृष्ण जन्मोत्सव के मौके पर खीरे के डंठल को काटकर कान्हा के जन्म को दिखाने की परंपरा है
वैसे ही श्री कृष्ण जन्मोत्सव के मौके पर
खीरे के डंठल
को काटकर कान्हा के जन्म को दिखाने की परंपरा है
जन्माष्टमी की रात को 12:00 बजे डंठल वाले खीरे को काटकर अलग किया जाता है
जन्माष्टमी की रात को 12:00 बजे डंठल वाले खीरे को काटकर अलग किया जाता है
मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण को खीरा अति प्रिय है वजह है कि पूजा में खीरा इतना जरूरी है
मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण को खीरा अति प्रिय है वजह है कि पूजा में खीरा इतना जरूरी है