आखिर क्यों दिया जाता है पितृपक्ष में पूर्वजों को खाना?

 पितृपक्ष पक्ष को महालय या कनागत भी कहा जाता है.

मृतक के लिए श्रद्धा से किया गया तर्पण, पिण्ड दान ही श्राद्ध कहा जाता है.

प्राचीन साहित्य के अनुसार सावन माह की पूर्णिमा से ही पितर पृथ्वी पर आ जाते हैं.

शास्त्रों के अनुसार जिन व्यक्तियों का श्राद्ध मनाया जाता है,

उनके नाम और गोत्र का उच्चारण करके मंत्रों द्वारा जो अन्न आदि उन्हें दिया समर्पित किया जाता है.

श्राद्ध के दिन ब्राह्मण को खिलाया गया भोजन उन्हें अमृत रुप में प्राप्त होता है.

श्राद्ध के महत्व के बारे में कई प्राचीन ग्रंथों तथा पुराणों में वर्णन मिलता है.

ग्रंथों में तीन पीढि़यों तक श्राद्ध करने का विधान बताया गया है.

पितरों को आहार और अपनी श्रद्धा पहुंचाने का एकमात्र साधन श्राद्ध है.

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