यहां है कचौड़ी और दही फाफड़े की दीवानगी 

भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे सरहदी बाड़मेर के एक शख्स ने कमाल कर दिया.

नरेश कुमार अपने हाथों से बनी मोगर की कचौड़ी और दही फाफड़े लोगों को परोसते है.

बाड़मेर जिला मुख्यालय पर माणक अस्पताल के सामने नरेश का ठेला लगाते है. 

यहां बरसो से जायका परोसा जाता है और आज भी स्वाद एक जैसा ही है.

उनके हाथों से बने ज़ायके को खाने के लिए लोगों की कतारें लगती है.

लोग अपनी बारी का इंतज़ार करते है.

उनके काम में उनकी पत्नी संतोष श्रीमाली और 3 बच्चे भी हाथ बंटाते है.

यहां दिन में 5 हजार के करीब पानी पूरी, 400 कचौड़ी और 5 किलो बेसन से बने फाफड़े हाथों हाथ बिक जाते है.

नरेश बताते है कि तीसरी पीढ़ी अब लोगो तक यह जायका पहुंचा रही है.