बिहार के नवादा में जिले में स्थित ककोलत जलप्रपात आपको शिमला और मनाली का एहसास करा सकता है.

UTKARSH KUMAR

इस जलप्रपात में नहाने से कभी सर्प योनि में जन्म नहीं होता है. त्रेता युग में एक राजा को यहां अजगर बनकर रहने का शाप मिला था.

कहा जाता है कि बिहार में पूर्व में कोल प्राचीन जनजाति थी और यहां निवास करती थी. 1811 में फ्रांसिस बुकानन ने इसके बारे में उल्लेख किया था. कोल जनजाति के नाम पर ही इस जलप्रपात का नाम ककोलत पड़ा है.

ककोलत जलप्रपात जंगलों के बीच बना हुआ है. पहाड़ों के बीच होने के कारण इसकी सुंदरता काफी अद्वितीय है.

इस झरना से बर्फीला ठंडा पानी गिरता है, जो गर्मी के मौसम में लोगों को बड़ी राहत पहुंचाता है.

शोधकर्ताओं के मुताबिक इसकी संरचना अमेरिका के नियाग्रा फॉल से मैच खाता है. इस जलप्रपात का डाक टिकट भी जारी किया जा चुका है. बिहार का यह जलप्रपात काफी खास है.

ककोलत जलप्रपात की ऊंचाई 160 फीट है और यहां 160 सीढ़ियां चढ़कर झरने के पास पहुंचा जा सकता है. सीएम नीतीश कुमार हाल ही में ककोलत जलप्रपात गए थे.

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