इस फल की खेती से कमाएं लाखों रुपए

By Roopali Sharma

Moneycontrol News August 01, 2024

बिहार मखाने की खेती के लिए प्रसिद्ध है. यहां बड़े  पैमाने पर मखाने की खेती होती है. अभी तक ये सिर्फ तालाब में होती थी.  लेकिन अब इसमें बड़ा बदलाव हो गया है

मखाने की खेती

बिहार का मखाना अपनी गुणवत्ता के लिए विश्व विख्यात है. सदियों से इसकी खेती सिर्फ बड़े-बड़े तालाबों में ही होती थी. क्योंकि ये कमल के फूल में से निकलने वाला फल है

कमल के फूल

बदलते वक्त के साथ अब मखाने पर नये-नये रिसर्च होने लगे हैं. किसान इसकी खेती खेतों में भी करने लगे हैं और इसके अच्छे परिणाम सामने आए हैं

नये-नये रिसर्च के कारण 

मखाना की खेती करने वाले किसानो का कहना  हैं कि मखाना की खेती धान की खेती की जैसा ही है. नवंबर में नर्सरी लगाने से लेकर सितंबर महीने से मखाने के बीज की कटाई शुरू हो जाती हैं

खेती का सही समय 

तालाब में मखाना की खेती पारंपरिक तकनीक है. इसमें सीधे तालाब में ही बीज  का छिड़काव होता है. वहीं बीज डालने के करीब डेढ़ महीने बाद पानी में बीज उगने लगता है

खेती पारंपरिक तकनीक

इसकी खेती के लिए चिकनी एवं चिकनी दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त है. इसका  नर्सरी नवंबर से दिसंबर तक डाली जाती है. वहीं कुछ किसान मई महीने में खेती  करने के लिए जनवरी से फरवरी में भी नर्सरी डालते हैं

खेती के लिए दोमट मिट्टी

खेत में मखाना की खेती के लिए एक से दो फीट पानी होना जरूरी है. वहीं एक एकड़ खेत से करीब 12 क्विंटल तक मखाना  का बीज निकलता है. इस दौरान खेती करने में कुल 70 से 75 हजार रुपए तक खर्च आ जाता है

खेती के लिए कुल खर्चा 

मखाना बहुत लजीज और पौष्टिक आहार है. इसका ज्यादातर इस्तेमाल व्रत में  फलाहार के तौर पर किया जाता है. मखाना हर तरह से खाया जाता है. इससे  मीठी-नमकीन तरह तरह की चीजें बनायी जाती हैं

मखाने का इस्तेमाल