युधिष्ठिर इसी द्वार से गए थे स्वर्ग,  देश-विदेश में मशहूर है ये छोटा सा शहर

उत्तराखंड के जोशीमठ की इतिहास में हमेशा से ही महत्वपूर्ण भूमिका रही है. 

यह शहर अपनी खूबसूरती के साथ ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी खास महत्व रखता है.  

यहां नीति-माणा के भोटिया जनजाति के लोग अपना सामान बेचने के लिए लाते हैं. 

जोशीमठ को 8वीं सदी में आदि गुरु शंकराचार्य ने स्थापित किया था.  

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जोशीमठ को स्वर्ग का द्वार कहा जाता है. 

आज जोशीमठ बर्फ से ढके पहाड़ों के बीच कई प्राचीन मार्गों का प्रवेश द्वार है. 

जोशीमठ चार प्रसिद्ध पीठों में से एक के रूप में प्रसिद्ध है.  

जोशीमठ को पार करने के बाद फूलों की घाटी है, युधिष्ठिर भी यहीं से स्वर्ग गए थे. 

इसी वजह से इसे स्वर्ग का द्वार कहा जाता है.