दिहाड़ी मजदूर की खुली किस्मत, सेना में लगी नौकरी

कहते है कि मेहनत और लगन से किसी काम को किया जाए तो मंजिल खुद पास आती है.

ऐसा ही कुछ हुआ है पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर के एक छोटे से गांव के एक युवा के साथ में. 

बाड़मेर के प्रवीण ने 7 महीने गुजरात के मोरबी में दिहाड़ी मजदूरी की सेना में चयन हो गया है.

बाड़मेर के छोटे से गांव भाचभर के रहने वाले प्रवीण की.

इस बेमिसाल सफलता से घर का हर सदस्य बेहद खुश है.

ऐसे में बाहरवीं की पढ़ाई के बाद वह गुजरात के मोरबी में मजदूरी करने चला गया.

लेकिन मन मे भारतीय सेना में जाने का जज्बा कम नहीं हुआ.

प्रवीण ने अपनी मेहनत को कायम रखा और पहले प्रयास में ही सेना में चयन हो गया है.