खौफनाक आइलैंड जहां जाने वालों को लग जाती है घातक बीमारी!
1920 में सोवियत संघ ने ऐसी जगह की खोज शुरू की जहां वो जैविक हथियारों की टेस्टिंग कर सकें.
उज्बेकिस्तान के पास, एरल समुद्र में स्थित Vozrozhdeniya टापू पर जगह मिली.
तब से ये जगह दुनिया के सबसे बड़े जैविक हथियारों के वॉरफेयर के तौर पर फेमस हुई.
यहां सोवियत संघ ने साल 1948 में खुफिया लैब की स्थापना की जिसे एरलसक-7 कहा गया.
1990 में इसे बंद करने से पहले, यहां कई तरह की बीमारियों और जैविक हथियारों का प्रशिक्षण किया गया.
इनमें से कई इंसानों के लिए जानलेवा भी थे. जैसे प्लेग, एंथ्रैक्स, स्मॉलपॉक्स, ब्रूसेलॉसिस, आदि.
समय के साथ इन सारे जैविक हथियारों को नष्ट कर दिया गया मगर एंथ्रैक्स कई सदियों तक मिट्टी में रहता है.
वैज्ञानिकों का दावा है कि आज भी यहां की जमीन में एंथ्रैक्स भारी मात्रा में है.
ऐसे में अगर कोई इंसान यहां जाता है तो उसकी मौत तय है.
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