यहां अपने समाज की भाषा संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिलता है.
लड़कियों को सिलाई और परिवार चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता है.
लड़कियों की धुमकुड़िया को चलाने ज्यादातर विधवा होती हैं.
धुमकुड़िया से जुड़े युवक युवतियों पर निगरानी रखी जाती है.
ताकि वह गलत रास्ते पर ना जाएं और उनमें ऐसे संस्कार .