आटे और दूध के घोल से बनी इस मिठाई के मुरीद हैं लोग

राजस्थान घूमने के साथ साथ खान पान के लिए भी मशहूर है.

यहां कई मिठाइयां ऐसी हैं जिनका इतिहास सैकड़ों साल पुराना है और ये केवल यहीं बनती हैं.

यहां मिलने वाली एक ऐसी ही मिठाई है, जिसे मिठाई न कहकर हम मीठी रोटी भी कहा जाता है, इस मिठाई का नाम है मालपुए.

मालपुए बनने की शुरुआत जयपुर के गोनेर कस्बे से हुई थी और जो अब पूरे देश भर में प्रसिद्ध है.

ताम्बी मालपुआ की दुकान 80 साल पुरानी है, जिसे अब तीसरी पीढ़ी संभाल रही है.

दुकान संचालक दिनेश ताम्बी बताते हैं कि इस कस्बे में 500 साल से मालपुए बन रहे हैं.

यहां का मालपुआ जयपुर और राजस्थान के अलग-अलग इलाकों में जाता है. 

मालपुआ बनानें में ज्यादा समय नहीं लगता मालपुआ देसी घी के अलावा तेल में भी बनता हैं.

यहां शुद्ध देसी घी के मालपुआ 200 रुपये किलो और तेल के मालपुआ 100 रुपये किलो मिलते हैं.