राजस्थान के मेवाड़ के एक गांव में होली पर खास रस्म होती है.
होली की ये रस्म मेवाड़-मुगल संघर्ष से जुड़ी है.
यहां होली के मौके पर रंग गुलाल नहीं बल्कि बम और बारूद बरसते हैं.
महाराणा उदय सिंह के समय मेनार गांव के पास मुगलों की एक चौकी थी.
मुगल सेना ने वहां से मेवाड़ पर आक्रमण की साजिश रची थी.
मेनारिया ब्राह्मण समाज को इस साजिश की जानकारी मिल गई.
इस समाज के लोगों ने वीर योद्धा की तरह मुगल चौकी पर हमला किया.
हमले में कुछ मेनारिया समाज के लोग शहीद भी हुए थे.
इस जीत के बाद से, यहां होली के दूसरे दिन जमरा बीज के मौके पर बारूद से होली खेली जाती है.
यह होली खेलने की परंपरा मुगल सेना पर जीत का जश्न मनाने के लिए है.