भाद्रपद का आखिरी प्रदोष व्रत, भूल कर भी ना करें ये काम
प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित रहता है.
ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने बताया कि साल भर में 24 प्रदोष व्रत पड़ता है.
एक कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में रखा जाता है.
वहीं भाद्रमाह का आखिरी प्रदोष व्रत 27 सितंबर को है.
इस प्रदोष व्रत में रवि और शिव परिवर्तन उत्सव का भी योग बन रहा है.
भगवान शिव पर जलाभिषेक कर एक धतूरा का फूल, एक शमी पत्र का फुल अर्पण करें.
कुंडली में शनि की साढ़ेसाती चल रही है तो वह भी समाप्त हो जाएगी.
इस दिन तामसिक भोजन करने से शिवजी नाराज होते हैं.
इससे व्यक्ति को व्रत का लाभ नहीं प्राप्त होता है.
एकादशी तिथि की तरह प्रदोष व्रत के दिन भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए.
इसके अलावा, लाल मिर्च और सामान्य नमक से भी परहेज करें.
अकाल मृत्यु से मुक्ति दिलाएगा ये पौधा