खाटू श्‍याम बाबा का शीश कुरुक्षेत्र से कैसे पहुंचा सीकर, क्या है मंदिर बनने की कहानी ?

महाभारत काल में एक ऐसा योद्धा था जो तीन बाणों से पूरा ब्रह्मांड नष्‍ट कर सकता था.

इतने से ही आप समझ गए होंगे, हम जिसकी बात कर रहे है. वह श्रेष्‍ठ योद्धा बर्बरीक हैं.

बर्बरीक ही आज खाटू श्‍याम कहे जाते है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनका शीश राजस्‍थान कैसे पहुंचा?

पुराणों के मुताबिक, श्री कृष्‍ण ने बर्बरीक के शीश को आशीर्वाद दे कर रूपावती नदी में बहा दिया था.

 ऐसा कहा जाता है कि कलयुग शुरू होने के बाद, बर्बरीक का शीश राजस्‍थान के खाटू गांव में दफन पाया गया.

कहते हैं एक गाय जब श्मशान पार कर रही थी तब उसके थनों से दूध बहने लगा.

इस चमत्‍कार को देख गांव के लोग ने उस जगह खुदाई की, खुदाई के बाद उन्‍हें खाटू श्‍याम का शीश मिला.

खाटू गांव के राजा रूप सिंह को एक स्‍वप्‍न में एक मंदिर के अंदर शीश को स्‍थापित करने को कहा गया था.

खाटू श्‍याम मंदिर में जो कुंड श्‍याम कुंड के नाम से जाना जाता है वहीं से खाटू श्‍याम का शीश मिला था.

और स्टोरीज पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें