महिलाएं भी कर सकती हैं पिंडदान? जानें
हिंदु धर्म में श्राद्ध का बहुत महत्व है.
पितरों के लिए यह पक्ष समर्पित माना जाता है.
श्राद्ध पक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तक मनाया जाता है.
पितृपक्ष 28 सितंबर से 14 अक्टूबर तक रहेगा.
श्राद्ध पितरों की तिथि के अनुसार किया जाता है: पंडित राजा आचार्य.
पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध या तर्पण का महत्व है.
आमतौर पर पुरुष ही ये काम करते हैं.
परिवार में पुरुषों की अनुपस्थिति में महिलाएं भी श्राद्ध करने की हकदार होती हैं.
गया के फल्गू तट पर माता सीता ने राजा दशरथ का पिंडदान किया था.
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