बर्बरीक से खाटू श्याम बनने तक की कहानी, जानें क्यों कहते है 'हारे का सहारा'

महाभारत के युद्ध में एक ऐसा योद्धा था जो सिर्फ तीन बाणों से ही तीनों लोकों को जीत सकता था.

शायद आप समझ गए होंगे, हम जिस योद्धा की बात कर रहे है वह श्रेष्ठ धनुर्धर बर्बरीक हैं.

बर्बरीक भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र थे. आइए जानते है बर्बरीक कैसे बनें खाटू श्याम जी.

बर्बरीक को भगवान शिव ने सिर्फ तीन बाणों से तीनों लोक जीतने का वरदान दिया था.

बर्बरीक बचपन से ही बलसाली योद्धा थे. पुराणों के मुताबिक, जन्‍म लेते ही वह युवावस्‍था में पहुंच गए थे.

बर्बरीक ने अपने ही परिवार के विरोध में महाभारत युद्ध लड़ने का फैसला लिया था.

श्री कृष्‍ण इस युद्ध का परिणाम जानते थे, इस लिए उन्‍होंने उनसे उनका शीश मांग लिया.

इसके बाद श्री कृष्ण ने उन्हें श्याम नाम से पुकारे जाने का वरदान दिया.

मान्यता है कि बाबा खाटू सभी की मनोकामनाएं पूरी करते है इसलिए उन्हें हारे का सहारा भी कहते हैं.

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