माटी का चूल्हा, बांस का दउरा, प्रकृति से
प्रेम सिखाता है
छठ महापर्व
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नहाय खाय के साथ 17 नवंबर से होगी
छठ महापर्व
की शुरुआत.
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18 नवंबर को
खरना
होगा, छठव्रती अपने
घरों में प्रसाद
बनाएंगे.
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19 नवंबर को भगवान भुवन भाष्कर को
पहला अर्घ्य
दिया जाएगा.
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20 नवंबर की सुबह प्रातःकालीन अर्घ्य के साथ
महापर्व का समापन
होगा.
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सूर्य आराधना और प्रकृति से जुड़े
छठ पर्व की कथा
पुराण में मिलती है.
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छठ पर्व में शुद्धता का ध्यान रखा जाता है, इसलिए
मिट्टी का चूल्हा, बांस के सूप
और दउरा का इस्तेमाल होता है.
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यहां तक कि घर में रखा गेहूं पिसवाकर ही
छठी मइया का प्रसाद
तैयार किया जाता है.
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लोक आस्था के पर्व की एक और विशेषता है, इसमें
डूबते सूर्य की आराधना
की जाती है.
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बिहार, झारखंड, यूपी समेत
देश-दुनिया में इस पर्व की महत्ता
देखने को मिलती है.
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