यहां नई दुल्हन करती थी विश्राम, इसलिए ये है बहू बाजार

पुराने समय में आवागमन का साधन नहीं था. 

लोग पैदल या बैलगाडिय़ों में सफर करते थे. 

ऐसे में जगह दूर होने पर दुल्हन को पालकी से लाते थे. 

शाम होने पर पालकी को ठहराया जाता था. 

बहू बाजार जिसका पुराना नाम बडड़ेरा था. 

यहां एक खास स्थान पर पालकी रुकती थी.  

बहू (दुल्हन) यहां रात्रि विश्राम के लिए रुकती थी. 

इसी कारण स्थान का नाम ही बहू बाजार पड़ गया.