कभी 2 रुपए मिलती थी दिहाड़ी, आज है करोड़ों का कारोबार

महाराष्ट्र में जन्मीं कल्पना सरोज एक गरीब परिवार से आती हैं.

12 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई. ससुराल में उन्होंने काफी यातनाएं झेलीं.

वह अपने चाचा के पास मुंबई गईं और वहां 2 रूपए रोज की दिहाड़ी पर काम किया.

फिर लोन लेकर उन्होंने बूटिक और सिलाई की दुकान खोली.

उन्होंने फर्नीचर का बिजनेस शुरू किया और एक व्यापारी से शादी की.

कुछ समय बाद उनके पति चल बसे.

उन्होंने सालों से बंद पड़ी कमानी ट्यूब्स कंपनी को अपने दम पर दोबारा से शुरू किया.

आज वह कई कंपनियों की मालकिन हैं और करोड़ों का कारोबार है.

उन्हें 2013 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.

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