दादा-परदादा से मिली संपत्ति को पैतृक संपत्ति कहा जाता है.
माता-पिता नालायक संतान को संपत्ति से बेदखल कर सकते हैं.
लेकिन शर्त यह है कि ये संपत्ति स्व-अर्जित होनी चाहिए.
अगर संपत्ति पैतृक है तो उसमें से संतान को नहीं निकाला जा सकता.
पैतृक संपत्ति से जुड़ा कानून ऐसे में संतान का समर्थन करता है.
पैतृक संपत्ति पिता की तरफ वाले परिवार से आती है.
पैतृक संपत्ति कम-से-कम 4 पीढ़ियों से चलती आनी चाहिए.
अगर इसमें बंटवारा होता है तो पैतृक संपत्ति का दर्जा चला जाता है.
इस स्थिति में माता-पिता संतान को बेदखल कर सकते हैं.