अगर बेटा नहीं है तो कौन कर सकता है पिंडदान?

पितृपक्ष में पूर्वज धरती पर आते हैं और कष्टों को दूर करते हैं.

श्राद्ध कर्म के लिए शास्त्रों में कई नियम बनाए गए हैं.

गया मंत्रालय वैदिक पाठशाला के पंडित राजा आचार्य बताते हैं कि,

शास्त्रों में पुत्र को श्राद्ध का प्रमुख अधिकारी माना गया है.

पुत्री का पति, पौत्र, प्रपौत्र या पत्नी भी श्राद्ध कर सकते हैं.

सबसे बड़ा पुत्र श्राद्ध करता है; पुत्र न होने पर अन्य विकल्प होते हैं.

पुत्री का पति तभी श्राद्ध कर सकता है, जब उसके माता-पिता जीवित न हों.

पुत्र, पौत्र या प्रपौत्र न होने पर विधवा स्त्री श्राद्ध कर सकती है.

भतीजा और गोद लिया पुत्र भी श्राद्ध का अधिकारी हो सकता है.