मेनोपॉज के बाद ब्लड का एक धब्बा भी हो सकता है कैंसर
Moneycontrol News July 01, 2024
By Roopali Sharma
महिलाओं को हर माह पीरियड्स की एक निश्चित साइकिल से गुजरना पड़ता है. दरअसल, यह एक नेचुरल प्रक्रिया है, जो यह महिला की Reproduction शक्ति या क्षमता को बताती है
पीरियड्स
महिलाओं में समय के साथ उनके शरीर में कई बदलाव होते हैं और वह मेनोपॉज की ओर बढ़ती है. मेनोपॉज की स्थिति से पता चलता है कि महिला अपने Reproduction समय को पूरा कर चुकी हैं
मेनोपॉज की स्थिति
इस दौरान पीरियड्स भी बंद हो जाते हैं. आमतौर पर महिलाओं को 45 से 55 की आयु में मेनोपॉज होता है. मेनेपॉज के दौरान और उसके बाद, महिलाओं में हार्मोनल परिवर्तन होते हैं
महिलाओं में हार्मोनल परिवर्तन
महिलाओ के मन में अक्सर सवाल जो अक्सर उठता है, वह यह है कि क्या मेनोपॉज महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का कारण बन सकती है? यही आगे जानेंगे
महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का कारण
लंबे समय तक एस्ट्रोजन के संपर्क में रहने से ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है. इसलिए, मेनोपॉज के बाद हार्मोनल रिप्लेसमेंट थेरेपी लेने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम बढ़ता है
एस्ट्रोजन के संपर्क में रहने से
जिन महिलाओं में 55 की उम्र के बाद मेनोपॉज़ आता है, उनमें स्तन या फिर एंडोमेट्रियल कैंसर का ख़तरा बढ़ जाता है
55 की उम्र के बाद मेनोपॉज़
मेनोपॉज़ के बाद वज़न बढ़ जाना, खराब लाइफस्टाइल अपनाना कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है. कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए ये करें
ब्रेस्ट कैंसर से कैसे बचे
रोज़ाना वर्कआउट करें एरोबिक्स, योग या फिर रोज़ाना 30-40 मिनट के लिए वॉक करें
रोज़ाना वर्कआउट करें
उम्र बढ़ने के साथ हमारी नींद भी कम होने लगती है. सोने के लिए दवा का सहारा न लें, दिन भर खुद को बिज़ी रखें ताकि थकान से अपने आप नींद आ जाए
अच्छी नींद लें
नियमित स्क्रीनिंग और एक हेल्दी लाइफस्टाइल का पालन करने से मेनोपॉज़ के बाद कैंसर के जोखिम को कम किया जा सकता है