मैनहोल, ड्रेन, सीवर आदि के ओपनिंग होते हैं, जिसमें से अंदर जाकर इंजीनियर या अन्य सफाई कर्मी जाते हैं.
19वीं सदी में शहरों में अंडरग्राउंड सीवेज सिस्टम को बनाया जाना शुरू किया गया था.
उस दौर के इंजीनियरों को समझ आया कि उन्हें बार-बार अंदर जाकर सीवेज सिस्टम की जांच करनी पड़ेगी.
ये काम उस वक्त मर्द यानी मैन ही किया करते थे, इस वजह से इन गड्ढों को मैनहोल कहा जाने लगा.
आसानी से अंदर घुसा जा सके, इस वजह से गड्ढों को गोल बनाया गया.
गोल गड्ढों में ना ही कोई दरार होती थी, ना ही कोई अवरोध.
मैनहोल को कई ऐसे उपकरणों से बनाया जाता रहा है, जो गोल होते हैं.
मैनहोल को गोल बनाना आर्थिक तौर पर ज्यादा फायदेमंद था.
अब जो चीज गोल होगी, उसका ढक्कन भी गोल ही बनाया जाएगा.