वृंदावन में किस रूप में विराजे हैं भगवान शिव?
भोलेनाथ को गोपेश्वर नाम से भी जाना जाता है.
वृंदावन के बनखंडी में शिव जी को गोपेश्वर रूप में पूजा जाता हैं.
कहते है श्री कृष्ण जब बांसुरी बजाते थे तो देवी-देवता मोहित हो जाते थे.
द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण गोपियों के साथ रासलीला कर रहे थे.
कृष्ण की मधुर बांसुरी की आवाज सुन शिव जी का ध्यान खुल गया.
भोलेनाथ रासलीला का आनंद लेने के लिए वृंदावन के लिए चल पड़े.
रासलीला में कृष्ण के अलावा किसी अन्य पुरुष का आना वर्जित था.
शिव जी गौरी का रूप धारण कर वृंदावन पहुंच गए. श्री कृष्ण ने भोलेनाथ को पहचान लिया.
भोलेनाथ ब्रज में ही गोपी के रूप में विराजमान हो गए. उस स्थान को ही गोपेश्वर नाम से जाना जाता है.
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