जन्माष्टमी में इस तरह करें लड्डू गोपाल का श्रृंगार
ब्रज में जन्माष्टमी की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं.
वृंदावन में रहने वाले विजय सालों से भगवान कृष्ण की अलग-अलग मूर्तियों के शृंगार का काम करते हैं.
विजय ने बताया कि भगवान की मूर्ति के शृंगार को ‘अंगराग’ कहा जाता है.
इसके लिए एक्रिलिक कलर का इस्तेमाल होता है.
सबसे पहले मत्स्य आकर में नेत्रों को कटाक्ष दिया जाता है ताकि वह बिलकुल असली आंखें लगे.
इसके बाद ठाकुर जी के होठ, बालो को रंगा जाता है साथ ही हाथ और पैरों में महावर लगाया जाता है.
साथ ही भगवान के शरीर पर अलग-अलग तरह के बेल, फूल, पट्टियों से भी शृंगार किया जाता है.
श्री कृष्ण के प्रिय मोर पंखों से बाजूबंद बनाए जाते हैं.
कई लोग भगवान के कपड़ों को भी अंगराग करवाते हैं.
इसके अलावा, अलग-अलग संप्रदायों के और भक्त की आस्था के अनुसार तिलक किए जाते हैं.
जिसमें गौड़ीय, हरिदासी, हरिवंशी, निम्बार्की समेत कई संप्रदायों के तिलक शामिल होते हैं.
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