लाइटहाउस जैसा काम करते हैं पल्सर, बताते हैं कहां-क्या है ब्रह्माण्ड के अंधेरे में!

पल्सर न्यूट्रॉन तारे से बनते हैं जो विशालकाय तारों के अवशेष से बनते हैं.

विशाल काय तारे का ईंधन खत्म होता है तो सुपरनोवा की घटना होती है.

तारे के क्रोड़ में पदार्थ सिकुड़ कर चरम असामान्य घनत्व को हासिल कर लेता है.

ऐसे खास भार वाले पिंड न्यूट्रॉन तारे बन जाते हैं.

पल्सर खास तरह के न्यूट्रॉन तारे होते हैं जिनकी घूर्णन गति बहुत ही ज्यादा तेज होती है.

वे विद्युतचुम्बकीय विकिरण के बीम उत्सर्जित करते हैं.

घूमती हुई यह बीम पूरे अंतरिक्ष में रुक रुक कर विकिरण उत्सर्जित करती है.

इनसे पता चलता है कि अंतरिक्ष में कौन सा पिंड कहां और कितनी दूरी पर है.

इस तरह से ये ब्रह्माण्ड में लाइट हाउस की तरह काम करते हैं.

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