प्रणति तिवारी
जापान में टूटे पॉट (मिट्टी के बर्तन) की मरम्मत की कला को ‘किंत्सुगी’ कहा जाता है.
यह उनकी प्राचीन परंपरा है, जिसमें टूटे हुए बर्तनों को सोने, चांदी, या प्लेटिनम जैसी कीमती धातुओं से जोड़ा जाता है.
इस कला का मुख्य उद्देश्य टूटे हुए हिस्सों को छिपाने के बजाय उन्हें खूबसूरती से उभारना होता है.
इसकी मदद से बर्तन को पहले की तुलना में और भी अधिक खूबसूरत और कीमती दिखाने का प्रयास किया जाता है.
किंत्सुगी की फिलॉसफी यह सीख देती है कि किसी भी चीज के टूटने या क्षतिग्रस्त होने से उसकी सुंदरता खत्म नहीं होती.
बल्कि टूटने के बाद क्षतिग्रस्त हिस्सा उस वस्तु का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाता है जो जीवन से जुड़ी कई सीख देता है.
यह कला जीवन में हुई गलतियों, क्षति या अनुभवों को स्वीकार करने और उन्हें गरिमा के साथ अपनाने का प्रतीक है.
इस तरह किंत्सुगी न केवल एक कला का एक प्रकार है, बल्कि यह जीवन के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण को भी दर्शाता है.
इस प्रक्रिया के माध्यम से, टूटे हुए बर्तनों को एक नया अर्थ मिलता है, जो उन्हें अनोखा और पहले से विशेष बनाता है.