ओजोन परत पृथ्वी के लिए रक्षा कवच की तरह काम करती है.
1980 के दशक में ओजोन परत में छेद के बारे में पता चला था.
इससे पता चला कि ओजोन परत हमारी पृथ्वी के तापमान के लिए कितनी अहम है.
अगर ओजोन परत नहीं होती तो हमारी पृथ्वी 3.5 केल्विन ठंडी होती.
सूर्य से आने वाला कुछ विकिरण ओजोन परत के ऊपर से टकराकर लौट जाते हैं.
धरती पर सबसे तेज हवाएं कहां चलती हैं? रफ्तार इतनी कि घर-गाड़ियां सब उड़ जाएं, तूफान भी इनके आगे फेल
कुछ विकिरण वायुमडंल और धरती अवशोषित कर लेते हैं, पर ओजोन परत के पार नहीं जाते हैं.
लेकिन पृथ्वी पर ऐसा हमेशा से नहीं था, जीवन से पहले ओजोन वायुमंडल में नहीं थी.
ओजोन परत के कारण पृथ्वी की सतह गर्म है और पृथ्वी का तापमान 3.5 केल्विन ज्यादा है.
यदि ओजोन परत गायब होती है तो इसका जलवायु पर विनाशकारी असर होगा.