आखिर क्यों ईद की खुशियां सेवइयों के बिना है अधूरी, क्या है परंपरा?
Moneycontrol News April 09, 2024
ईद के मौके पर जब तक सेवई न खाई जाए तब तक ये त्योहार अधूरा माना जाता है
ईद-उल-फितर के दिन सेवई खाने की परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है
लेकिन क्या आप जानते हैं कि सेवई के बिना ईद का त्योहार क्यों अधूरा है और इसकी परंपरा कैसे शुरू हुई. आइए जानते हैं
ईद पर बनने वाली सेवई को लोग घरों में परिवार और दोस्तों के साथ बांटते हैं जिससे त्योहार का जश्न और खुशियां बढ़ती हैं
सेवई की मिठाई बनाने की यह परंपरा ईद उल फितर से ही शुरू हुई थी. इस मिठाई को मुस्लिम में शीर खोरमा कहा जाता है
ये एक ऐसी रेसिपी है जो हर मुस्लिम के घर तैयार की जाती है और ईद-उल-फितर के दिन लोग खाते हैं और एक दूसरें को गले मिलकर बधाई देते हैं
इस्लाम धर्म में ईद मनाने के पीछे बड़ी वजह बताई जाती है. पहली यह कि जंग-ए बदर में मुसलमानों ने पहली जीत हासिल की थी. यह जंग 2 हिजरी 17 रमजान के दिन हुई थी
इस जंग में पैगंबर हजरत Mohammad Mustafa Sallallahu Alaihi Wasallam की अगुवाई में मुसलमान बहुत ही बहादुरी से लड़े थे और जीत हासिल की थी
इसी जीत की खुशी में सेवई से बनी मिठाई बांटी गई और एक दूसरे को मिलकर मुबारकबाद दी गई
बस तभी से ईद पर सेवई से बनी मिठाई शीर खोरमा खाने की परंपरा चली आ रही है. इसलिए सेवई के बिना ईद का त्योहार अधूरा माना जाता है