श्रीराम राजा कैसे आए ओरछा? दिलचस्प है कहानी
श्रीराम राजा कैसे आए ओरछा? दिलचस्प है कहानी
ओरछा के रामराजा मंदिर का जिक्र पुराणों में है. इस मंदिर में श्रद्धालु दूर-दूर से दर्शन करने आते हैं.
ओरछा का किला और मंदिर बेतवा नदी के किनारे पर बना हुआ है. मध्यकाल में परिहार राजाओं के बाद यहां चंदेलों ने भी राज किया.
ओरछा की शान राजा हरदौल के भाई ने अपनी पत्नी के हाथों जहर दिलाया था. राजा हरदौल की की कथाएं लगभग हर घर में सुनाई जाती है.
आज जो ओरछा का स्वरूप दिखता है, इसके निर्माण की शुरुआत राजा रुद्र प्रताप सिंह ने 1501 में की थी.
रामराजा मंदिर बनने की कहानी रोचक है. कहा जाता है कि महारानी की जिद के आगे भगवान राम को झुकना पड़ा था.
21 दिन तप के बाद भी जब रानी कुंवर गणेश को भगवान के दर्शन न हुए तो उन्होंने सरयु नदी में छलांग लगा दी, तभी उन्हें राम के बालरूप के दर्शन हुए.
ओरछा किले का निर्माण राजा रुद्रप्रताप ने कराया था. बाद के राजाओं ने इस नगर को वर्तमान स्वरूप दिया.
इस स्तंभों को सावन-भादो कहा जाता है. मान्यता है कि सावन खत्म होने और भादो की शुरुआत से पूर्व ये स्तंभ मिल जाते हैं.
पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि ओरछा में जो रामराज दरबार देखते हैं वो एक रसोई घर है.
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